Friday, 14 September 2018

जिंदगी तुझसे नहीं कोई गिला है
दर्द भी हमने यहाँ हंसकर सहा है
प्यार में जिनके सदा जीते रहे हम
प्यार में उनके नहीं कोई वफ़ा है
ज़ख्म खाए थे यहाँ पर आज तक जो
प्यार करना क्या यहाँ कोई गुना है
भाव खाता है यहाँ वो आज ऐसे
लग रहा जैसे यहाँ वो ही ख़ुदा है
जब फकीरों ने उठाये हाथ अपने
हाथ से उनके सदा निकली दुआ है
क्या पता ये बात उनको आज संजय
ये ज़हर हमने यहाँ कैसे पिया है

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