सड़कों पर कूड़ा पड़ा ,करते सब हड़ताल !
देखो नेता चल रहे ,आड़ी तिरछी चाल !!
आड़ी तिरछी चाल ,चलाते अपनी मर्जी !
मस्ती में है आज , हमारी गली का दर्जी !!
कहते हैं कविराज ,न इतना तुम अब भड्को !
माने तुम ना आज ,फिरोगे भूखे सड़कों !!
संजय कुमार गिरि
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