*क्षणिका*
पिता की "नज़र"
डबडबाई हुई,
लगा आज बेटी
"पराई " हुई !
*
गिरा लड़खड़ाके
बहुत जोर से ,
दिखी चोट दिल पे
जो "खाई "हुई !!
*
उसे जान से भी
अधिक थी प्रिय ,
चली आज बेटी
"विदाई"हुई !!!
*
संजय कुमार गिरि
पिता की "नज़र"
डबडबाई हुई,
लगा आज बेटी
"पराई " हुई !
*
गिरा लड़खड़ाके
बहुत जोर से ,
दिखी चोट दिल पे
जो "खाई "हुई !!
*
उसे जान से भी
अधिक थी प्रिय ,
चली आज बेटी
"विदाई"हुई !!!
*
संजय कुमार गिरि
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