"बच्चे,
कैसे पलेंगे इस गरीबी में"
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"आज बहुत ठण्ड है जी "
ठिठुरते हुए लक्खी ने
अपनी पत्नी कुंती से कहा ,
ठण्ड का मौसम है तो
ठण्ड तो लगेगी ही न '
क्यों बाहर निकलते हो ?
ठण्ड लग जायेगी '
डॉ.ने भी तो यही कहा था न
कि,आराम करना है ,
काम बाद में करना ,
पहले ठीक हो जाओ ,
काम का क्या है
वह तो होता ही रहेगा ,
"जान है तो जहान है" !
कैसे पलेंगे इस गरीबी में"
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"आज बहुत ठण्ड है जी "
ठिठुरते हुए लक्खी ने
अपनी पत्नी कुंती से कहा ,
ठण्ड का मौसम है तो
ठण्ड तो लगेगी ही न '
क्यों बाहर निकलते हो ?
ठण्ड लग जायेगी '
डॉ.ने भी तो यही कहा था न
कि,आराम करना है ,
काम बाद में करना ,
पहले ठीक हो जाओ ,
काम का क्या है
वह तो होता ही रहेगा ,
"जान है तो जहान है" !
बीबी ने डांट कर
समझाते हुए .लक्खी से .कहा
कहा ,किन्तु ,
वह उसकी बात को अनसुना
कर धीरे से कुछ बुदबुदाता हुआ
बाहर निकलकर अपने
प्रिये रिक्शे की गद्दी पर
प्यार की दो थपकी देता
सड़क पर सवारी लेने को
निकल पड़ा !
समझाते हुए .लक्खी से .कहा
कहा ,किन्तु ,
वह उसकी बात को अनसुना
कर धीरे से कुछ बुदबुदाता हुआ
बाहर निकलकर अपने
प्रिये रिक्शे की गद्दी पर
प्यार की दो थपकी देता
सड़क पर सवारी लेने को
निकल पड़ा !
और इधर कुंती की आँखों से
ओझल होता चला गया !
बस उसके कानो में
देर तक गूंजते रह गए
यह शब्द--
""" बच्चे
कैसे ,पलेंगे इस गरीबी में"""
मैं घर बैठ गया तो ........
ओझल होता चला गया !
बस उसके कानो में
देर तक गूंजते रह गए
यह शब्द--
""" बच्चे
कैसे ,पलेंगे इस गरीबी में"""
मैं घर बैठ गया तो ........
---संजय कुमार गिरि
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