"मेंहदी लगा के हाथों पे रोई थी ज़ार-ज़ार
अब हँस रही हूँ पाँव की ज़ंजीर देखकर"
जैसे मार्मिक शे'र कहने वाली आशती तूबा की स्मृति शेष को समर्पित ग़ज़ल गोष्ठी
सीनियर सिटीजन्स एसोसिएशन, ग़ाज़ियाबाद और बसंत चौधरी फ़ाउंडेशन, नेपाल के संयुक्त तत्वावधान में कवि नगर,ग़ाज़ियाबाद में आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ शायर श्री विजेंद्र परवाज़ ने की। उद्घाटन डॉ. कुँअर बेचैन जी ने किया। राज्यसभा सदस्य श्री अनिल अग्रवाल,उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री श्री अतुल गर्ग,वरिष्ठ कवि श्री कृष्ण मित्र,सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजकुमार भाटी,डा.अतुल जैन,श्री सुनील सिंघल एवम श्री आलोक यात्री विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। प्रख्यात शायर दीक्षित दनकौरी के कुशल संचालन में गोविन्द गुलशन,मासूम ग़ाज़ियाबादी,उत्कर्ष ग़ाफ़िल,अब्दुल रहमान मंसूर,सालिब चंदयानवी,ऐन मीम कौसर,चेतन आनंद,राज कौशिक,अंजु जैन,मनोज अबोध,अशोक पंकज,राजीव सिंहल,डा.तारा गुप्ता,,डा.श्वेता सिंह,नंदिनी हर्ष,गुरचरन मेहता सहित एनसीआर के लगभग 50 शायरों ने अपने-अपने कलाम से गाज़ियाबाद के सैकड़ों प्रबुद्ध श्रोताओं का दिल जीत लिया। यू ट्यूब चैनल 'एक्सपोज़ इंडिया' द्वारा कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया। श्री सतीश बिंदल ने सभी अतिथियों,श्रोताओं,शायरों एवम उपस्थित मीडिया कर्मियों का स्वागत एवम आभार व्यक्त किया।
(भाई मनोज अबोध जी की सुंदर वाल से कॉपी पेस्ट)
आशती तूबा की स्मृति शेष को समर्पित जनाब दीक्षित दनकौरी जी के संयोजन में ग़ज़ल गोष्ठी में अपना कलाम पढ़ते आप सभी का मित्र संजय कुमार गिरि ।
सभी चित्र जगदीश मीणा जी द्वारा ।
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