Wednesday, 16 August 2017

*गीत* --1
आ गया है तीज का
त्यौहार सखियाँ झूमती
डाल कर झूला ख़ुशी से,
आसमाँ को चूमती.......
कान कुण्डल नाक नथनी ,
भाल पर बिंदी रचा
पाँव में अल्ता महावर ,
हाथ मेहँदी से रचा
आ गई बेला मिलन की,
गाल पिय हिय चूमती
डाल कर झूला ख़ुशी से ,
आसमाँ को चूमती .......
लाल पीला और नीला ,
वस्त्र पहने हैं सभी
नाचती गाती ख़ुशी से ,
पाँव कब ठहरे जमीँ
हर नज़र हैं आज केवल
बस उन्हीं को घूरती
डाल कर झूला ख़ुशी से
आसमाँ को चूमती .......
चल रही है मलय गंधित
चपल कोमल ये पवन
कह रहीं हों आज जैसे
धरा अम्बर का मिलन
प्रेम में होकर मगन वो
रीति सारी भूलती
डाल कर झूला ख़ुशी से
आसमाँ को चूमती.....
आ गया है तीज का त्यौहार सखियाँ झूमती
डाल कर झूला ख़ुशी से आसमाँ को चूमती
संजय कुमार गिरि

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