**ग़ज़ल**
सूरत बदल गई कभी सीरत बदल गई
इंसान की तो सारी हकीकत बदल गई
इंसान की तो सारी हकीकत बदल गई
पैसे
अभी तो आए नहीं पास आपके
ये क्या अभी से आप की नीयत बदल गई
ये क्या अभी से आप की नीयत बदल गई
मंदिर को छौड "मयकदे "जाने लगे हैं लोग
इंसान की अब तो तर्ज ऐ इबादत बदल गई
इंसान की अब तो तर्ज ऐ इबादत बदल गई
खाना नहीं गरीब को भर पेट मिल रहा
कैसे कहूँ गरीब की हालत बदल गई
कैसे कहूँ गरीब की हालत बदल गई
नफरत का राज अब तो हरइक़ सू दिखाई दे
पहले थी जो दिलों में महब्बत बदल गई
पहले थी जो दिलों में महब्बत बदल गई
देता न था जबाब जो मेरे सलाम का
वो हंस के क्या मिला मेरी किस्मत बदल गई
वो हंस के क्या मिला मेरी किस्मत बदल गई
संजय कुमार गिरि
No comments:
Post a Comment