एक सरस्वती पुत्र
बेबाक़ जौनपुरी
भारतीय साहित्य उत्थान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कवि आदरणीय श्री बेबाक जौन पुरी जी से मेरी प्रथम मुलाकात आज से लगभग 4 वर्ष पूर्व मेरे ही निवास स्थान (करतार नगर दिल्ली ) पर आदरणीय श्री ओम प्रकाश प्रजापति (संपादक -ट्रू मीडिया हिंदी पत्रिका )जी के सहयोग से हुई ! वैसे तो हम फेसबुक पर मित्र बहुत पहले ही बन चुके थे किन्तु साक्षात् मिलने का सुअवसर अब मिला था ,और ख़ुशी की बात यह रही की उसी दिन ट्रू-मीडिया हिंदी पत्रिका के मुख्य संपादक आदरणीय श्री ओम प्रकाश प्रजापति जी से भी मेरी यह प्रथम मुलाक़ात थी ! उन दिनों मेरी एक कविता पहलीवार किसी पत्रिका में प्रकाशित हुई थी और सौभाग्य से वही पत्रिका मुझे मेरे घर पर भेंट करने के लिए श्री ओम प्रकाश प्रजापति जी स्वयम ही मेरे घर पधारे थे और साथ में पत्रिका के साहित्यिक संपादक आदरणीय श्री बेबाक जौन पुरी जी भी थे ! बेहद विन्रम स्वभाव एवं मिलनसार व्यक्तित्व के धनि है बेबाक भाई ,जिन्होंने मुझे प्रथम मुलाकात में ही अपने गले लगा ह्रदय में बसा लिया और एक छोटे भाई समान मुझे अपना स्नेह और दुलार दिया ,उस दिन उनका मेरे पिता जी और माता जी से भी मिलना हुआ और उन्होंने अपनी सुन्दर सुन्दर रचनाओं से मेरे घर को माँ शारदे का आवाहन किया !
भारतीय साहित्य उत्थान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कवि आदरणीय श्री बेबाक जौन पुरी जी से मेरी प्रथम मुलाकात आज से लगभग 4 वर्ष पूर्व मेरे ही निवास स्थान (करतार नगर दिल्ली ) पर आदरणीय श्री ओम प्रकाश प्रजापति (संपादक -ट्रू मीडिया हिंदी पत्रिका )जी के सहयोग से हुई ! वैसे तो हम फेसबुक पर मित्र बहुत पहले ही बन चुके थे किन्तु साक्षात् मिलने का सुअवसर अब मिला था ,और ख़ुशी की बात यह रही की उसी दिन ट्रू-मीडिया हिंदी पत्रिका के मुख्य संपादक आदरणीय श्री ओम प्रकाश प्रजापति जी से भी मेरी यह प्रथम मुलाक़ात थी ! उन दिनों मेरी एक कविता पहलीवार किसी पत्रिका में प्रकाशित हुई थी और सौभाग्य से वही पत्रिका मुझे मेरे घर पर भेंट करने के लिए श्री ओम प्रकाश प्रजापति जी स्वयम ही मेरे घर पधारे थे और साथ में पत्रिका के साहित्यिक संपादक आदरणीय श्री बेबाक जौन पुरी जी भी थे ! बेहद विन्रम स्वभाव एवं मिलनसार व्यक्तित्व के धनि है बेबाक भाई ,जिन्होंने मुझे प्रथम मुलाकात में ही अपने गले लगा ह्रदय में बसा लिया और एक छोटे भाई समान मुझे अपना स्नेह और दुलार दिया ,उस दिन उनका मेरे पिता जी और माता जी से भी मिलना हुआ और उन्होंने अपनी सुन्दर सुन्दर रचनाओं से मेरे घर को माँ शारदे का आवाहन किया !
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