Tuesday, 12 September 2017

**गज़ल***
चलो रेत पर आज हम तुम चलेंगे 
भुला के गिले प्रेम सबसे करेंगे 
अगर थक गए ये हमारे कदम तो
वहीँ रेत पर बैठ सजदा करेंगे
सुहाना हुआ सर्द मौसम यहाँ का 
कहोगे जहाँ ये कदम चल पड़ेंगे
लिखी खूबसूरत ग़ज़ल एक उन पर
अगर आज मौका मिला तो पढ़ेंगे
रहे हैं महरवां मेरे ईश सब पर
दुआ मांग लो रोज झोली भरेंगे
उमंगों से भर कर मिलो आप 'संजय'
बुझे दीप दिल के सभी जल उठेंगे
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संजय कुमार गिरि 
सर्वाधिक @सुरक्षित
१२ सितम्बर 2017

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