Monday, 11 September 2017

मुक्तक 

लिख रहा हूँ आज का अखबार अपने खून से 
दे रहा हूँ लेखनी को धार अपने खून से 
मिट रही है सभ्यता अरु संस्कृति इस देश की"
कर रहा हूँ देख लो श्रृंगार अपने खून से 

संजय कुमार गिरि


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