व्यक्ति विशेष
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मेरे मोहतरम उस्ताद शायर राजेंद्र नाथ रहबर
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व्यक्ति विशेष में आज बात करते हैं देश के बड़े उस्ताद शायर ज़नाब राजेंदर नाथ रहबर के बारे में -
राजेंद्र नाथ रहबर उर्दू के प्रमुख उस्ताद शायरों में से एक हैं उनका जन्म 05 नवम्बर 1931 को पंजाब के शकरगढ़ में हुआ, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान को मिल गया। तथा रहबर साहिब का परिवार पठानकोट आकर बस गया।
रहबर साहिब ने हिन्दू कॉलेज अमृतसर से बी.ए., खालसा कॉलेज पंजाब से एम.ए.(अर्थशास्त्र) और पंजाब यूनिवर्सिटी से एल.एल.बी की। बचपन में शायरी का शौक़ पल गया, इनके बड़े भाई ईश्वरदत्त अंजुम भी शायर थे। रहबर साहिब ने शायरी का फन रतन पंडोरवी से सीखा।
रहबर साहिब की नज़्म तेरे खुशबू में बसे ख़त को विश्वव्यापी शोहरत मिली। इस नज़्म को जगजीत सिंह ने लगभग 30 सालों तक अपनी मखमली आवाज़ में गाया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा रहबर साहिब को लिखे ख़त के लिए भी वो चर्चा में रहे।
मशहूर फ़िल्म निर्माता महेश भट्ट ने रहबर साहिब द्वारा लिख इक मशहूर नज़्म को अपनी फ़िल्म 'अर्थ' में फिल्माया है। रहबर साहिब अपने जीवन के तकरीब 70 साल उर्दू साहित्य की सेवा में समर्पित किये हैं और अब भी निरंतर साहित्य सेवा में लगे हैं। उस्ताद शायर राजेंदर नाथ रहबर के विषय में एक बार हिंदी फिल्मों के सुपर स्टार दिलीप कुमार साहब ने कहा ---
"ये कहूं तो ग़लत न होगा कि इस दौर के जिन चंद शायरों ने मुझे मुतआस्सिर किया उन में 'रहबर` का नाम भी है। 'रहबर` की शायरी वो जलता हुआ चिराग है जो अपनी सोंधी सोंधी आंच की दिल गुदाज़ हरारत का कैफ़ पैदा करती है। उन की शायरी का एक बहुत बड़ा वस्फ़ ये है कि उन्होंने आमियाना और उर्यां मज़ामीन से गुरेज़ किया है। दरअस्ल उन की सोचें चांदनी की पाजेब पहन कर सर्फए-क़िर्तास काग़ज़ पर उतरती हुई दिखाई पड़ती हैं। उन की तख्ल़ीक़ी कुव्वत की तवानाई मन्दर्जा ज़ैल अशआर से नुमायां है।"
रहबर साहिब को देश विदेश की सैंकड़ों संस्थानों द्वारा विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2010 में पंजाब सरकार द्वारा रहबर साहिब को पंजाब का सर्वोच्च सम्मान शिरोमणि साहित्यकार सम्मान से नवाज़ा गया। देश विदेश में इनके लगभग 150 से भी अधिक शागिर्द हैं जो इनकी रहबरी में बहुत उम्दा शायरी करते हैं !
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