**गीतिका**
गाया सदा ही' मैंने ,माँ नाम बस तुम्हारा
देती हो आसरा तुम जब भी तुम्हे पुकारा
ये जिंदगी समर्पित करता हूँ' आपको मैं
आशीष मिल रहा है ,मुझको सदा तुम्हारा
गाया सदा ही' मैंने ,माँ नाम बस तुम्हारा
देती हो आसरा तुम जब भी तुम्हे पुकारा
ये जिंदगी समर्पित करता हूँ' आपको मैं
आशीष मिल रहा है ,मुझको सदा तुम्हारा
कितनी कठिन हो' राहें चलता रहूँ मैं' पथ पे
आया शरण हूँ माँ मैं , दे दो मुझे सहारा
मिलजुल रहें सदा ही ,माँ शारदे के' दर पे
ये जिंदगी नहीं फिर ,मिलती कभी दुबारा
हर शब्द सार्थक हो .माँ से करें ये' विनती
हम लेखनी लिखे जो ,बन जाए ध्रुव. तारा
करता यही है' विनती संजय सदा यहाँ पर
ले लो शरण में' अपनी बन जाऊं मैं दुलारा
संजय कुमार गिरि
आया शरण हूँ माँ मैं , दे दो मुझे सहारा
मिलजुल रहें सदा ही ,माँ शारदे के' दर पे
ये जिंदगी नहीं फिर ,मिलती कभी दुबारा
हर शब्द सार्थक हो .माँ से करें ये' विनती
हम लेखनी लिखे जो ,बन जाए ध्रुव. तारा
करता यही है' विनती संजय सदा यहाँ पर
ले लो शरण में' अपनी बन जाऊं मैं दुलारा
संजय कुमार गिरि
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