गीतिका
देश हित के लिए खेलती बेटियाँ
दाँव पर दाँव अब जीतती बेटियाँ
दाँव पर दाँव अब जीतती बेटियाँ
देखिये देश में अब पदक ला रहीं
बढ़ धरा से गगन चूमती बेटियाँ
बढ़ धरा से गगन चूमती बेटियाँ
आन को मान को देश की शान को
हर मुसीबत से हैं जूझती बेटियाँ
हर मुसीबत से हैं जूझती बेटियाँ
बेटियों पर पिता को हुआ नाज़ अब
लग पिता के गले झूलती बेटियाँ
लग पिता के गले झूलती बेटियाँ
खूबसूरत सुमन सी लगे हैं सदा
बन के खुशबू यहाँ महकती बेटियाँ
बन के खुशबू यहाँ महकती बेटियाँ
घर चलो लौट कर तुम न देरी करो
राह में बस यही सोचती बेटियाँ
राह में बस यही सोचती बेटियाँ
आप 'संजय' सदा नेह देना इन्हें
हाथ सर पर सदा माँगती बेटियाँ
हाथ सर पर सदा माँगती बेटियाँ
संजय कुमार गिरि
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