कभी छल कपट हम नहीं यार करते
कभी पीठ पीछे न हम वार करते
कभी पीठ पीछे न हम वार करते
लगाया न होता गर' इलज़ाम सर पर
कभी हम न तुमसे यूँ' तकरार करते
कभी हम न तुमसे यूँ' तकरार करते
हमें माँ पिता ने दिखाई जो' दुनिया
वही स्वप्न हम आज साकार करते
वही स्वप्न हम आज साकार करते
दिलों में अगर देश भक्ति न होती
अमन चैन दिल से न स्वीकार करते
अमन चैन दिल से न स्वीकार करते
न होता कभी हाल ऐसा वतन का
गरीबों को' थोडा जो' उद्गार करते
गरीबों को' थोडा जो' उद्गार करते
चलो आज "संजय" बता दो हक़ीकत
कभी हम किसी का न मनुहार करते
कभी हम किसी का न मनुहार करते
संजय कुमार गिरि
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