*गज़ल*
अब किसी से नहीं गिला अपना
मीत ही जब नहीं रहा अपना
मीत ही जब नहीं रहा अपना
जिस्म से जान ये निकल जाती
सामना मौत से हुआ अपना
सामना मौत से हुआ अपना
आस टूटी नहीं कभी यारो
चल रहा साथ काफ़िला अपना
चल रहा साथ काफ़िला अपना
अब किसी से नहीं रही नफरत
गुलसिता है हरा भरा अपना
गुलसिता है हरा भरा अपना
राह में वो मिले हमें जब से
प्यार का सिलसिला चला आपना
प्यार का सिलसिला चला आपना
चल कहीं और घर बना "संजय "
रख किसी से न वास्ता अपना
रख किसी से न वास्ता अपना
संजय कुमार गिरि
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