सर उड़ाया धड़ उडाना चाहिए
खून का दरिया बहाना चाहिए
आँख दिखलाता है वो जब भी हमें
आंख में सरिया घुसाना चाहिए
रोज ही धमकी दिया करता है वो
धुल उसको अब चटाना चाहिए
गर तिरंगे का करे अपमान अब ?
विश्व से नक्सा मिटाना चाहिए
खून की गर्मी हमारी यह बोलती
सूर्य सा उसको जलाना चाहिए
ओज वाणी में झलके "संजय" तेरी
लहू वतन के काम आना चाहिए
संजय कुमार गिरि
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