Friday, 14 September 2018

ग़ज़ल
बिटिया को तुम आने दो
खुशियाँ घर में छाने दो
नन्हे नन्हें क़दमों से
धरती स्वर्ग बनाने दो
बेटों की ही चाहत में
दिल को ना बहकाने दो
बिटिया है तो जन्नत है
दिल में रंगत आने दो
बाबुल का घर छोड़ उसे
गुलशन को महकाने दो
साजन के घर जाने पर
दुल्हन बन शरमाने दो
-------संजय कुमार गिरि

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