ग़ज़ल
बिटिया को तुम आने दो
खुशियाँ घर में छाने दो
खुशियाँ घर में छाने दो
नन्हे नन्हें क़दमों से
धरती स्वर्ग बनाने दो
धरती स्वर्ग बनाने दो
बेटों की ही चाहत में
दिल को ना बहकाने दो
दिल को ना बहकाने दो
बिटिया है तो जन्नत है
दिल में रंगत आने दो
दिल में रंगत आने दो
बाबुल का घर छोड़ उसे
गुलशन को महकाने दो
गुलशन को महकाने दो
साजन के घर जाने पर
दुल्हन बन शरमाने दो
दुल्हन बन शरमाने दो
-------संजय कुमार गिरि
No comments:
Post a Comment