Friday, 14 September 2018

नहीं होता कभी लफड़ा हमारा
न करते तुम अगर चर्चा हमारा
लिखा इक शे'र था हमने ख़ुदी से
वो' जांचा और था परखा हमारा
असर होता नहीं अब शाईरी का
रहा जब से नहीं ज़ज्बा हमारा
नज़र में तो थे हम दिलवर सभी के
बदल के रख दिया रुतवा हमारा
नज़र लग जाए ना "संजय" किसी की
महकता ही रहे गुंचा हमारा
संजय कुमार गिरि

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