ग़ज़ल
जिंदगी तुझसे नहीं कोई गिला है
दर्द भी हमने यहाँ हंसकर सहा है
जिंदगी तुझसे नहीं कोई गिला है
दर्द भी हमने यहाँ हंसकर सहा है
याद में जिनकी सदा जीते रहे हम
प्यार में उनके नहीं कोई वफ़ा है
प्यार में उनके नहीं कोई वफ़ा है
ज़ख्म खाए थे जहां में प्यार करके
प्यार करना भी लगे कोई सज़ा है
प्यार करना भी लगे कोई सज़ा है
भाव खाता है यहाँ वो आज ऐसे
लग रहा जैसे यहाँ का वो ख़ुदा है
लग रहा जैसे यहाँ का वो ख़ुदा है
जब फकीरों ने उठाये हाथ अपने
हाथ से उनके सदा निकली दुआ है
हाथ से उनके सदा निकली दुआ है
क्या बताये हाल अपना आज संजय
ये ज़हर हमने यहाँ कैसे पिया है
ये ज़हर हमने यहाँ कैसे पिया है
संजय कुमार गिरि
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