Tuesday, 30 October 2018

            ग़ज़ल
जिंदगी तुझसे नहीं कोई गिला है
दर्द भी हमने यहाँ हंसकर सहा है
याद में जिनकी सदा जीते रहे हम 
प्यार में उनके नहीं कोई वफ़ा है
ज़ख्म खाए थे जहां में प्यार करके
प्यार करना भी लगे कोई सज़ा है
भाव खाता है यहाँ वो आज ऐसे
लग रहा जैसे यहाँ का वो ख़ुदा है
जब फकीरों ने उठाये हाथ अपने
हाथ से उनके सदा निकली दुआ है
क्या बताये हाल अपना आज संजय
ये ज़हर हमने यहाँ कैसे पिया है
संजय कुमार गिरि

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