Monday, 15 October 2018

**गीतिका **
रौशनी हर ओर होगी ,तम छटेगा एक दिन 
मेरी' खुशियों का भी' सूरज तो उगेगा एक दिन 
जिन्दगी लगने लगी है खूबसूरत दोस्तो
फूल गुलशन में यहाँ पर भी खिलेगा एक दिन
आदमी ही आदमी का आज कातिल है बना
खून इन आतंकियों का भी बहेगा एक दिन
हाथ को ऊपर उठा कर कुछ फकीरों ने कहा
बोल बम बम बोल बम बम जग कहेगा एक दिन
आसमां में फिर उड़ा है इक परिंदा शान से
जाल डाला है शिकारी ने ,फंसेगा एक दिन
लिख रहा बेकाम बातें जो यहाँ पर बेवजह
हाथ पर रख हाथ देखो वो मलेगा एक दिन

संजय कुमार गिरि

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