ऋषियों की पावन भूमि पर,
जिस दुश्मन ने पाँव पसारा है !
सर धड से अलग कर देंगे हम,
जिस दुश्मन ने हमें ललकारा है !!
बहुत सुन चुके धमकी उसकी,
अब तो रक्त उसका बहाना है !
जान देकर अपनी वतन पर ,
पाकिस्तान में तिरंगा फेहराना है !!
हद को पार करता है जब वो ,
खून हमारा खोल जाता है !
युद्ध की हुंकार भरते हैं हम जब ,
फिर वो जड़ से दहल जाता है !!
हर बार की ललकार का उसको ,
इस बार सबक सिखाना है !
सर काट कर के आज दुश्मन का ,
माँ भवानी को बलि चढ़ाना है !!
संजय कुमार गिरि
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