*छंद*
भारती के लाडलों ने ,भारती की रक्षा हेतु
दुश्मनों से लड़कर ,जान ये गवाई है ।
आन वान शान हेतु ,तिरंगे के मान हेतु
सीने पर खाके गोली ,वीर गति पाई है
जन गण मन गाके ,रूखा सूखा अन्न खाके
वीर सपूतों की कहानी बन के छाई है
बहनों की मांग सूनी ,माताओं की गोद सूनी
तब जाके भारत में ,आज़ादी ये आई है
दुश्मनों से लड़कर ,जान ये गवाई है ।
आन वान शान हेतु ,तिरंगे के मान हेतु
सीने पर खाके गोली ,वीर गति पाई है
जन गण मन गाके ,रूखा सूखा अन्न खाके
वीर सपूतों की कहानी बन के छाई है
बहनों की मांग सूनी ,माताओं की गोद सूनी
तब जाके भारत में ,आज़ादी ये आई है
संजय कुमार गिरि
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