Wednesday 27 December 2017
भारतीय साहित्यिक विकास मंच और अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सभा द्वारा काव्य संध्या का आयोजन
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संजय कुमार गिरि ,नई दिल्ली, भारतीय साहित्यिक विकास मंच और अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सभा- दिल्ली शाखा के संयुक्त तत्वाधान में दिल्ली के श्रीनिवासपुरी में आयोजित काव्य गोष्ठी/निशिस्त का शानदार आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता बेहतरीन शायर आदरणीय मनोज बेताब ने की ,एवं मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई दूरदर्शन प्रोग्राम मेनेजर श्रीकांत सक्सेना ने, विशिष्ठ अतिथि रहे मशहूर शायर कमर बादरपुरी एवं यशपाल सिंह कपूर , एवं "अहिसास" समूह के संगठन सचिव वीरेंद्र बत्रा ।सभी अतिथियों द्वारा माँ शारदे के चित्र के समुख दीप प्रज्ज्वलि करने के उपरान्त दो सरस्वती पुत्रियों भव्या शर्मा एवं निशिता शर्मा दोनों बालिकाओं ने माँ शारदे की वंदना सुन्दर स्वर में की ,विशिष्ठ अतिथि वीरेंद्र बत्रा ने "अहिसास" समूह के बारे में सभी साथियों को बतलाया कि यह साहित्यिक संस्था किस प्रकार से साहित्य को समर्पित हैं ,दिल्ली और उसके आस पास से काव्य संध्या में आये लगभग 50 से अधिक कवि कवियत्रियों ने अपना शानदार काव्य पाठ किया ! देश के जाने माने शायरों और कवियों की उपस्थिति ने समारोह को भव्यता प्रदान की, मुम्बई से त्रिभवन कॉल , लखनऊ से भुपेन्द्र सिंह , सिरसा से गोबिन्द चांदना और सुरेन्द्र इंसान तशरीफ़ लाए तो ग़ाज़ियाबाद से जगदीश मीणा जी, दीपक भारतवासी , प्रभा शर्मा ने समारोह को गौरान्वित किया। फ़रीदाबाद से जाने माने शायर संजय तन्हा , अजय अक्स जी, अनहद गुँजन और नॉएडा से सूक्ष्मलता महाजन की शानदार उपस्थिति दर्ज़ हुई।कार्यक्रम के आयोजक के तौर पर आदरणीय विजय स्वर्णकार , गुरचरन मेहता 'रजत' , फैज़ बदायूनी, माधुरी स्वर्णकार और ममता लड़ीवाल का योगदान सराहनीय रहा।दिल्ली से जनाब समर बुगारस्वी , कवि एवं पत्रकार संजय कुमार गिरि ,गौरव त्रिवेदी, वीरेंद्र बत्रा , राजेश मयंक , भुपेन्द्र राघव , चैतन्य चन्दन , मजाज़ अमरोही साहब, महबूब आमीन श्रीकांत सक्सेना , प्रेम बरेलवी , यशपाल कपूर , रेणुजा सारस्वत , दिनेश उपाध्याय क़मर बदरपुरी साहब, ख़ुमार देहलवी साहब, सुन्दर सिंह , सूफ़ी गुलफ़ाम शाहजहाँपुरी साहब, इमरान धामपुरी , अख़्तर गोरखपुरी , विनय सक्सेना ने कार्यक्रम को नई ऊँचाइयाँ दी।
क़मर बदरपुरी साहब ने अर्ज़ किया ' हरेक मिसरा लहू से सींचते हैं, ग़ज़ल कहना कोई आसान है क्या'
संजय तन्हा का ये शेर बहुत सराहा गया 'मंज़र ऐसा देख के दिल को मिला सुकून, एक हिन्दू को चढ़ रहा एक मुस्लिम का खून'
ममता लड़ीवाल ने पढ़ा 'उसने छिपा ली हँसते हुए पेट की मरोड़, पर चीथड़ों से झाँक रहा मुफ़लिसी का रोग'
अनहद गुँजन ने 'जान कैसे न जाती फिर गुँजन, तीर सीने के पार था गुँजन' पढ़ा। समर साहब ने 'बात नरमी से कीजिये साहब, ये ही लहज़ा अगर मेरा हो तो' सुना कर दाद बटोरी। मजाज़ अमरोही साहब ने 'जान मेरी जाए या तुम्हारी..जान है आखिर जान, ऐसे भी नुकसान है..वैसे भी नुकसान' पढ़ा तो तालियों से हॉल गूँज गया। फैज़ बदायूनीं साहब ने जब पढ़ा 'फैज़ मरना है तो मर जाओ वतन की ख़ातिर, बाद मरने के शहीदों का कफ़न महकेगा' तो महफ़िल की रौनक कई गुना बढ़ गई और विजय स्वर्णकार जी का ये शेर भी बहुत पसंद किया गया 'बरसा मगर ये देख के पानी बिफर गया, तालाब मेरे गांव का मिटटी से भर गया। गुरचरण मेहता रजत का गीत प्यार न होता अगर धरा पर हम मनमीत न होते,रंग बदलते कभी न मौसम, कविता गीत न होते, संजय कुमार गिरि का शेर कलम रहती है सदा संजय चलूंगी साथ तेरा ही, रहेगा जे लिखूंगी वो नहीं मंजूर बिकने को और जगदीश मीणा का गीत भोर की बन किरण अब चले आये, मेरे जीवन में फैला तिमिर है घना बहुत सराहा गया ।
काव्य गोष्ठी का संचालन ग़ाज़ियाबाद की कवयित्री श्रीमती ममता लड़ीवाल ने अपने शानदार शायराना अंदाज़ में की।
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संजय कुमार गिरि ,नई दिल्ली, भारतीय साहित्यिक विकास मंच और अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सभा- दिल्ली शाखा के संयुक्त तत्वाधान में दिल्ली के श्रीनिवासपुरी में आयोजित काव्य गोष्ठी/निशिस्त का शानदार आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता बेहतरीन शायर आदरणीय मनोज बेताब ने की ,एवं मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई दूरदर्शन प्रोग्राम मेनेजर श्रीकांत सक्सेना ने, विशिष्ठ अतिथि रहे मशहूर शायर कमर बादरपुरी एवं यशपाल सिंह कपूर , एवं "अहिसास" समूह के संगठन सचिव वीरेंद्र बत्रा ।सभी अतिथियों द्वारा माँ शारदे के चित्र के समुख दीप प्रज्ज्वलि करने के उपरान्त दो सरस्वती पुत्रियों भव्या शर्मा एवं निशिता शर्मा दोनों बालिकाओं ने माँ शारदे की वंदना सुन्दर स्वर में की ,विशिष्ठ अतिथि वीरेंद्र बत्रा ने "अहिसास" समूह के बारे में सभी साथियों को बतलाया कि यह साहित्यिक संस्था किस प्रकार से साहित्य को समर्पित हैं ,दिल्ली और उसके आस पास से काव्य संध्या में आये लगभग 50 से अधिक कवि कवियत्रियों ने अपना शानदार काव्य पाठ किया ! देश के जाने माने शायरों और कवियों की उपस्थिति ने समारोह को भव्यता प्रदान की, मुम्बई से त्रिभवन कॉल , लखनऊ से भुपेन्द्र सिंह , सिरसा से गोबिन्द चांदना और सुरेन्द्र इंसान तशरीफ़ लाए तो ग़ाज़ियाबाद से जगदीश मीणा जी, दीपक भारतवासी , प्रभा शर्मा ने समारोह को गौरान्वित किया। फ़रीदाबाद से जाने माने शायर संजय तन्हा , अजय अक्स जी, अनहद गुँजन और नॉएडा से सूक्ष्मलता महाजन की शानदार उपस्थिति दर्ज़ हुई।कार्यक्रम के आयोजक के तौर पर आदरणीय विजय स्वर्णकार , गुरचरन मेहता 'रजत' , फैज़ बदायूनी, माधुरी स्वर्णकार और ममता लड़ीवाल का योगदान सराहनीय रहा।दिल्ली से जनाब समर बुगारस्वी , कवि एवं पत्रकार संजय कुमार गिरि ,गौरव त्रिवेदी, वीरेंद्र बत्रा , राजेश मयंक , भुपेन्द्र राघव , चैतन्य चन्दन , मजाज़ अमरोही साहब, महबूब आमीन श्रीकांत सक्सेना , प्रेम बरेलवी , यशपाल कपूर , रेणुजा सारस्वत , दिनेश उपाध्याय क़मर बदरपुरी साहब, ख़ुमार देहलवी साहब, सुन्दर सिंह , सूफ़ी गुलफ़ाम शाहजहाँपुरी साहब, इमरान धामपुरी , अख़्तर गोरखपुरी , विनय सक्सेना ने कार्यक्रम को नई ऊँचाइयाँ दी।
क़मर बदरपुरी साहब ने अर्ज़ किया ' हरेक मिसरा लहू से सींचते हैं, ग़ज़ल कहना कोई आसान है क्या'
संजय तन्हा का ये शेर बहुत सराहा गया 'मंज़र ऐसा देख के दिल को मिला सुकून, एक हिन्दू को चढ़ रहा एक मुस्लिम का खून'
ममता लड़ीवाल ने पढ़ा 'उसने छिपा ली हँसते हुए पेट की मरोड़, पर चीथड़ों से झाँक रहा मुफ़लिसी का रोग'
अनहद गुँजन ने 'जान कैसे न जाती फिर गुँजन, तीर सीने के पार था गुँजन' पढ़ा। समर साहब ने 'बात नरमी से कीजिये साहब, ये ही लहज़ा अगर मेरा हो तो' सुना कर दाद बटोरी। मजाज़ अमरोही साहब ने 'जान मेरी जाए या तुम्हारी..जान है आखिर जान, ऐसे भी नुकसान है..वैसे भी नुकसान' पढ़ा तो तालियों से हॉल गूँज गया। फैज़ बदायूनीं साहब ने जब पढ़ा 'फैज़ मरना है तो मर जाओ वतन की ख़ातिर, बाद मरने के शहीदों का कफ़न महकेगा' तो महफ़िल की रौनक कई गुना बढ़ गई और विजय स्वर्णकार जी का ये शेर भी बहुत पसंद किया गया 'बरसा मगर ये देख के पानी बिफर गया, तालाब मेरे गांव का मिटटी से भर गया। गुरचरण मेहता रजत का गीत प्यार न होता अगर धरा पर हम मनमीत न होते,रंग बदलते कभी न मौसम, कविता गीत न होते, संजय कुमार गिरि का शेर कलम रहती है सदा संजय चलूंगी साथ तेरा ही, रहेगा जे लिखूंगी वो नहीं मंजूर बिकने को और जगदीश मीणा का गीत भोर की बन किरण अब चले आये, मेरे जीवन में फैला तिमिर है घना बहुत सराहा गया ।
काव्य गोष्ठी का संचालन ग़ाज़ियाबाद की कवयित्री श्रीमती ममता लड़ीवाल ने अपने शानदार शायराना अंदाज़ में की।
Tuesday 19 December 2017
अखिल भारतीय सर्व भाषा संस्कृति समन्वय समिति एवं नव जन चेतना द्वारा सुन्दर काव्य संध्या का आयोजन
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संजय कुमार गिरि ,नई दिल्ली , प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव की अध्यक्षता में अखिल भारतीय सर्व भाषा संस्कृति समन्वय समिति एवं नव जन चेतना के संयुक्त तत्वावधान में गाज़ियाबाद के होटल हेवन में आयोजित काव्यसंध्या का सुन्दर आयोजन हुआ ,इस साहित्यिक जलसे की संयोजिका सुप्रसिध्द समाजसेविका एवं शिक्षाविद् डॉ ऋचा सूद एवं मुख्य अतिथि दैनिक हिंट के संपादक कमल सेखरी तथा विशिष्ट अतिथि दिल्ली एवं लखनऊ से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ट्रू टाइम्स व गाजियाबाद से प्रकाशित साप्ताहिक डाटला एक्सप्रेस के संपादक राजेश्वर राय 'दयानिधि' रहे । सभी गणमान्य अतिथियों द्वारा माँ शारदे के चित्र के समुख दीप प्रज्ज्वलित करने के उपरांत कवियत्री कल्पना कौशिक ने अपने मधुर कंठ से माँ शारदे की वंदना की ,इस काव्य गोष्ठी में दिल्ली एन सी आर से लगभग 50 कवि एवं कवियत्रियों ने अपने सुन्दर काव्य की प्रस्तुति दी जिनमें डॉ अशोक ज्योति ,डॉ अंजू सुमन ,स्नेह भारती ,विजय प्रकाश भारद्वाज ,श्री प्रकाश सृजन ,संजय कुमार गिरि ,डॉ सीमा गुप्ता ,इंदु शर्मा ,अरुण चन्द्र राय ,श्याम स्नेही ,कल्पना कौशिक ,शिव नरेश पाण्डे ,दास आरुही आनंद ,कीर्ति रत्न ,डॉ वीणा मित्तल ,हास्य कवि शैल भदावरी .जगदीश मीणा ,सृजन शीतल आदि कवियों मंच का शानदार सञ्चालन प्रसिद्द कवि विजय प्रकाश भारद्वाज ने अपने लाज़वाब अंदाज़ में किया ! अखिल भारतीय सर्व भाषा संस्कृति समन्वय समिति एवं नव जन चेतना द्वारा सभी कवियों एवं कवियत्रियों को सम्मान पत्र एवं पंडित सुरेश नीरव जी की पुस्तक भेंट स्वरुप दी गई !
Monday 11 December 2017
मेरे मित्र Amit Ambashtha जी ने मेरे जीवन पर एक सुन्दर आर्टिकल लिखा इसके लिए मैं उनका सहृदय आभार व्यक्त करता हूँ ..
जो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से प्रकाशित हिंदी समाचार women express में भी प्रकाशित हुआ -
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जो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से प्रकाशित हिंदी समाचार women express में भी प्रकाशित हुआ -
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