Wednesday 28 March 2018
Sunday 25 March 2018
*ग़ज़ल *
आज जब याद ये तेरी आई
जिस्म में जैसे' जान सी आई
जिस्म में जैसे' जान सी आई
रात भर चैन से नहीं सोया
तू जो बन दिल में खल्बली आई -
तू जो बन दिल में खल्बली आई -
मैं तुझे ढूँढता रहा हर पल
बाद मुद्दत के' वो घड़ी आई
बाद मुद्दत के' वो घड़ी आई
ज़िन्दगी भर तुझे नहीं भूला
आज तू ख़्वाब में चली आई
आज तू ख़्वाब में चली आई
अब किसे हम कहें यहाँ अपना
बीच दीवार मजहबी आई
बीच दीवार मजहबी आई
दूसरों से करूँ गिला कैसा
आज अपनों में ही कमी आई
आज अपनों में ही कमी आई
संजय कुमार गिरि
Friday 23 March 2018
मुक्तक
1
तेज़ गर आंधी चली तो ,रुख हवा का मोड़ दूं
घूर कर देखा अगर तो , आँख उसकी फोड़ दूं
घूर कर देखा अगर तो , आँख उसकी फोड़ दूं
गर तिरंगे का किया अपमान किसी शैतान ने
हे कसम मुझको वतन की हाथ उसके तोड़ दूं
संजय कुमार गिरि
हे कसम मुझको वतन की हाथ उसके तोड़ दूं
संजय कुमार गिरि
2
हर वर्दी की अपनी अलग शान होती है,
अपने वतन के वीरों की पहचान होती है !
तिरंगा सदा ऊँचा दिखे इस देश का मेरे ,
इसी तिरेंगे में तो देश की जान होती है !!
संजय कुमार गिरि
अपने वतन के वीरों की पहचान होती है !
तिरंगा सदा ऊँचा दिखे इस देश का मेरे ,
इसी तिरेंगे में तो देश की जान होती है !!
संजय कुमार गिरि
3.
शहीदों की सहादत पर हमें अभिमान होता है
हमारी जान पर उनका सदा अहसान होता है
दुआ मांगी सदा हमने हमारे देश की खातिर
हमारे देश का बच्चा यहाँ कुर्बान होता है
संजय कुमार गिरि
हमारी जान पर उनका सदा अहसान होता है
दुआ मांगी सदा हमने हमारे देश की खातिर
हमारे देश का बच्चा यहाँ कुर्बान होता है
संजय कुमार गिरि
आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से प्रकाशित समाचार पत्र Red Handed Arman Red Handed में प्रकाशित हुई मेरी एक कविता -मजदूर
Thursday 22 March 2018
*भोजन के भी शौकीन हैं व्यंग्यकार दयानिधि जी:*
*********************************
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक अख़बार 'डाटला एक्सप्रेस' एवं दिल्ली तथा लखनऊ से प्रकाशित दैनिक 'ट्रू टाइम्स' के मुख्य संपादक आदरणीय राजेश्वर राय जी एक अच्छे संपादक होने के साथ-साथ एक बहुत अच्छे व्यंग्यकार एवं ग़ज़लकार भी हैं। अपनी शानदार एवं तेजतर्रार व्यंग्य विधा के माध्यम से साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बना चुके बड़े भाई आदरणीय श्री राजेश्वर राय जी को आज साहित्य जगत में कौन नहीं जानता, आप बहुत ही सरल हृदय के मिलनसार एवं मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति हैं। आज आप के विषय में कुछ लिखना मुझे आसमान में चमकते हुए सूरज को जैसे एक छोटा सा दीपक दिखाने जैसा लग रहा है,बताना चाहूँगा कि श्री राय से मेरी मुलाक़ात फेसबुक के माध्यम से वैसे तो बहुत पहले ही हो गई थी और यदा-कदा आपसे मैसेज बॉक्स एवं फोन पर लम्बी वार्ता भी लगभग हो जाया करती थी, किन्तु जब मैं अपने मित्र निर्देश शर्मा और अभिषेक झा के साथ ( उस अवसर की तस्वीर भी शेयर कर रहा हूँ ) आपके घर गरिमा गार्डन, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश पर प्रथम बार मिलने आया तो मुझे लगा ही नहीं कि यह मेरी उनसे पहली मुलाकात हो रही है। इतने प्रेम भाव से आपने मुझे गले लगाया और बड़े भाई के समान स्नेह दिया कि मैं यहाँ उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता। मैं इसे अपना परम सौभाग्य ही समझता हूँ कि मुझे हमेशा से आपका अतुलनीय स्नेह मिलता आ रहा है।
उस दिन उन्होंने हमें वापसी में अपने दोनों समाचार पत्र डाटला एक्सप्रेस एवं ट्रू टाइम्स दैनिक के साथ-साथ अपनी अनुपम कृति
*दयानिधि अब तो लो अवतार....!* भी भेंट स्वरुप दी। आपका सानिध्य मुझे बराबर मिलता रहा चाहे मेरी रचनाएं हों या साहित्यिक खबर आपने सभी को अपने समाचार पत्रों में यथोचित स्थान दिया और उनके प्रकाशित होने पर मुझे उसकी सूचना भी देते आ रहे हैं।
*भोजन के शौकीन:*
अपने प्रिय भोजन चावल,अरहर की दाल, आलू की भुजिया, देसी घी एवं भरी लाल मिर्च के पुराने अँचार के साथ खाने के शौकीन (जो हमारे क्षेत्रीय होने के कारण मुझे भी पसंद है) बड़े भाई राय साहब फेसबुक पर भी उनकी तश्वीर खींच कर यदा-कदा पोस्ट कर हमें ललचाते रहते हैं तो साथ ही सम सामयिक विषयों पर भी अपनी लेखनी द्वारा तंज कसने में भी पीछे नहीं रहते।
*सशक्त अभिव्यक्ति*
रचना पाठ के समय उनकी शुरुआत में बोली जानेवाली पंच लाइन.........
*पाप बढ़ा जब-जब धरती पर आये बारंबार*
*एक बार फिर इस धरती को है तेरी दरकार*
*दयानिधि अब तो लो अवतार....!!!*
.... लोगों में एक उत्साह का संचार करते हुए महफ़िल में समां बाँध देती है। यहाँ कुछ अपनी पसंद के कुछ "दयानिधि पद" शेयर करने से मैं अपने आपको नहीं रोक पाना रहा हूँ।
------------------------
*बाबाजी*
*खाये-पीये-टेहटों-मेहटों को ही योग सिखाते हैं,*
*दीनों-हीनों-दुखी-दरिद्रों को वो मार भगाते हैं,*
*जहां करोड़ों लोग देश में तरस रहे हों भोजन को-*
*वहाँ पेय में बाबा जी लौकी का जूस बताते हैं,*
*आधी से ज़्यादा आबादी चोटा नहीं पा रही है-*
*और हमारे स्वामी जी पिलवाते हैं....घीक्वार।*
*दयानिधि अब तो लो अवतार....!*
इस कड़ी में एक जगह विद्यार्थी की व्यथा में लिखते हैं......
-----------------------
*उनसे ट्यूशन नहीं पढ़ा तो.........नंबर मेरा काट लिए,*
*टाॅफी-टिफिन-वज़ीफ़ा सारा आपस में मिल-बाँट लिए,*
*जिस दिन घर से झगड़ा करके मैडम-सर जी आते हैं-*
*उस दिन हल्का होने खातिर,हम बच्चों को डाँट लिए,*
*मैडम फ़ैशन में बीज़ी,सर को ना नेट से फ़ुर्सत है-*
*विद्या की अर्थी निकली,फ्युचर हो रहा बेकार।*
*दयानिधि अब तो लो अवतार....!*
हा.. हा... हा एक स्थान पर तो वह अपनी पत्नी (कवयित्री बीवी) को माध्यम बनाकर कवयित्रियों पर तंज़ कसते हुए लिखते हैं.....
*बेवकूफ़ बीवी मेरी ख़ुद को कवयित्री बता रही,*
*कॉपी-पेस्ट मारकर वो विद्वता हज़ारों जता रही,*
*बीसों वर्ष पुरानी फोटू नेट पर चस्पा करके वह-*
*नये लवंडों से लेकर बूढ़ों को काफी सता रही,*
*वो साले लँड़कढ़े चौबिसों घंटे लाइक-शेयर कर-*
*चढ़ा दिये हैं इस भसंड को खूब चने के झार।*
*दयानिधि अब तो लो अवतार....!*
अंत में राय साहब के 2018 में आने वाले महासंग्रह "दयानिधि अब तो लो अवतार....! (भाग पाँच) पर उन्हें अपनी ढेर सारी शुभ कामनाएं एवं बधाई देते हुए उनके लिए एक दोहा लिखता हूँ....
*आगे बढ़ते जाइए ,गाते सुन्दर गान !*
*कृपा करें माँ शारदे,मिले सदा सम्मान !!*
संजय कुमार गिरि
(कवि एवं पत्रकार)
J-288/3/ करतार नगर/ दिल्ली -110053
Mb. No. 9871021856
*********************************
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक अख़बार 'डाटला एक्सप्रेस' एवं दिल्ली तथा लखनऊ से प्रकाशित दैनिक 'ट्रू टाइम्स' के मुख्य संपादक आदरणीय राजेश्वर राय जी एक अच्छे संपादक होने के साथ-साथ एक बहुत अच्छे व्यंग्यकार एवं ग़ज़लकार भी हैं। अपनी शानदार एवं तेजतर्रार व्यंग्य विधा के माध्यम से साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बना चुके बड़े भाई आदरणीय श्री राजेश्वर राय जी को आज साहित्य जगत में कौन नहीं जानता, आप बहुत ही सरल हृदय के मिलनसार एवं मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति हैं। आज आप के विषय में कुछ लिखना मुझे आसमान में चमकते हुए सूरज को जैसे एक छोटा सा दीपक दिखाने जैसा लग रहा है,बताना चाहूँगा कि श्री राय से मेरी मुलाक़ात फेसबुक के माध्यम से वैसे तो बहुत पहले ही हो गई थी और यदा-कदा आपसे मैसेज बॉक्स एवं फोन पर लम्बी वार्ता भी लगभग हो जाया करती थी, किन्तु जब मैं अपने मित्र निर्देश शर्मा और अभिषेक झा के साथ ( उस अवसर की तस्वीर भी शेयर कर रहा हूँ ) आपके घर गरिमा गार्डन, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश पर प्रथम बार मिलने आया तो मुझे लगा ही नहीं कि यह मेरी उनसे पहली मुलाकात हो रही है। इतने प्रेम भाव से आपने मुझे गले लगाया और बड़े भाई के समान स्नेह दिया कि मैं यहाँ उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता। मैं इसे अपना परम सौभाग्य ही समझता हूँ कि मुझे हमेशा से आपका अतुलनीय स्नेह मिलता आ रहा है।
उस दिन उन्होंने हमें वापसी में अपने दोनों समाचार पत्र डाटला एक्सप्रेस एवं ट्रू टाइम्स दैनिक के साथ-साथ अपनी अनुपम कृति
*दयानिधि अब तो लो अवतार....!* भी भेंट स्वरुप दी। आपका सानिध्य मुझे बराबर मिलता रहा चाहे मेरी रचनाएं हों या साहित्यिक खबर आपने सभी को अपने समाचार पत्रों में यथोचित स्थान दिया और उनके प्रकाशित होने पर मुझे उसकी सूचना भी देते आ रहे हैं।
*भोजन के शौकीन:*
अपने प्रिय भोजन चावल,अरहर की दाल, आलू की भुजिया, देसी घी एवं भरी लाल मिर्च के पुराने अँचार के साथ खाने के शौकीन (जो हमारे क्षेत्रीय होने के कारण मुझे भी पसंद है) बड़े भाई राय साहब फेसबुक पर भी उनकी तश्वीर खींच कर यदा-कदा पोस्ट कर हमें ललचाते रहते हैं तो साथ ही सम सामयिक विषयों पर भी अपनी लेखनी द्वारा तंज कसने में भी पीछे नहीं रहते।
*सशक्त अभिव्यक्ति*
रचना पाठ के समय उनकी शुरुआत में बोली जानेवाली पंच लाइन.........
*पाप बढ़ा जब-जब धरती पर आये बारंबार*
*एक बार फिर इस धरती को है तेरी दरकार*
*दयानिधि अब तो लो अवतार....!!!*
.... लोगों में एक उत्साह का संचार करते हुए महफ़िल में समां बाँध देती है। यहाँ कुछ अपनी पसंद के कुछ "दयानिधि पद" शेयर करने से मैं अपने आपको नहीं रोक पाना रहा हूँ।
------------------------
*बाबाजी*
*खाये-पीये-टेहटों-मेहटों को ही योग सिखाते हैं,*
*दीनों-हीनों-दुखी-दरिद्रों
*जहां करोड़ों लोग देश में तरस रहे हों भोजन को-*
*वहाँ पेय में बाबा जी लौकी का जूस बताते हैं,*
*आधी से ज़्यादा आबादी चोटा नहीं पा रही है-*
*और हमारे स्वामी जी पिलवाते हैं....घीक्वार।*
*दयानिधि अब तो लो अवतार....!*
इस कड़ी में एक जगह विद्यार्थी की व्यथा में लिखते हैं......
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*उनसे ट्यूशन नहीं पढ़ा तो.........नंबर मेरा काट लिए,*
*टाॅफी-टिफिन-वज़ीफ़ा सारा आपस में मिल-बाँट लिए,*
*जिस दिन घर से झगड़ा करके मैडम-सर जी आते हैं-*
*उस दिन हल्का होने खातिर,हम बच्चों को डाँट लिए,*
*मैडम फ़ैशन में बीज़ी,सर को ना नेट से फ़ुर्सत है-*
*विद्या की अर्थी निकली,फ्युचर हो रहा बेकार।*
*दयानिधि अब तो लो अवतार....!*
हा.. हा... हा एक स्थान पर तो वह अपनी पत्नी (कवयित्री बीवी) को माध्यम बनाकर कवयित्रियों पर तंज़ कसते हुए लिखते हैं.....
*बेवकूफ़ बीवी मेरी ख़ुद को कवयित्री बता रही,*
*कॉपी-पेस्ट मारकर वो विद्वता हज़ारों जता रही,*
*बीसों वर्ष पुरानी फोटू नेट पर चस्पा करके वह-*
*नये लवंडों से लेकर बूढ़ों को काफी सता रही,*
*वो साले लँड़कढ़े चौबिसों घंटे लाइक-शेयर कर-*
*चढ़ा दिये हैं इस भसंड को खूब चने के झार।*
*दयानिधि अब तो लो अवतार....!*
अंत में राय साहब के 2018 में आने वाले महासंग्रह "दयानिधि अब तो लो अवतार....! (भाग पाँच) पर उन्हें अपनी ढेर सारी शुभ कामनाएं एवं बधाई देते हुए उनके लिए एक दोहा लिखता हूँ....
*आगे बढ़ते जाइए ,गाते सुन्दर गान !*
*कृपा करें माँ शारदे,मिले सदा सम्मान !!*
संजय कुमार गिरि
(कवि एवं पत्रकार)
J-288/3/ करतार नगर/ दिल्ली -110053
Mb. No. 9871021856
Tuesday 20 March 2018
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