Wednesday 28 November 2018

चित्रकार एवम कवि संजय गिरि को मेजर वीरेंद्र सिंह स्मृति सम्मान 2018 से नवाजा गया
25 नवंबर को दिल्ली के रेलवे ऑफिसर्स क्लब में युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (न्यास )ने अपना पंचम साहित्य महोत्सव मनाया, जिसमे पुस्तक विमोचन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर चित्रकार एवम कवि संजय कुमार गिरि को चित्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए मेजर वीरेंद्र सिंह यादव स्मृति सम्मान 2018 एवं पुरस्कार राशि इक्कीसो रुपये प्रदान की गई । चित्रकार संजय ने देश के कई बड़े साहित्यकारों एववम कवियों के सुंदर स्केच बना कर उन्हें भेंट किये जिनमे अशोक चक्रधर ,हरिओम पंवार ,गिरीश पंकज ,विष्णु सक्सेना ,लक्ष्मी शंकर वाजपेयी विनय शुक्ल ,जगदीश मीणा ,निर्देश शर्मा ,ओमप्रकाश प्रजापति ओर मनोज कामदेव आदि हैं ।यह सम्मान युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के अध्यक्ष श्री राम किशोर उपाध्याय जी के कर कमलों द्वारा दिया गया ।इस उत्सव में श्रीमती चंद्रलता यादव जी मुख्य अतिथि श्री गुरमीत बेदी जी ( वरिष्ठ साहित्यकार चंडीगढ़ , प्रेस सचिव / मुख्य मंत्री हिमाचल प्रदेश) ,अध्यक्षता- श्री अनूप श्रीवास्तव ( वरिष्ठ साहित्यकार लखनऊ) ने की, विशिष्ट अतिथि डॉ. अशोक मैत्रेय (वरिष्ठ साहित्यकार एंव समाज सेवी , हापुड़), डी.पी.मिश्र (उप निदेशक ,भारत सरकार) डॉ रामकुमार चतुर्वेदी (व्यंग्यकार सिवनी म.प्र ) रहे | मंच का सञ्चालन पंडित श्वेताब पाठक ने अपने लाजबाब अंदाज़ में किया | युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के अध्यक्ष श्री रामकिशोर उपाध्याय,ओम प्रकाश शुक्ल, सुरेश पाल वर्मा जसाला,त्रिभवन कौल के अलावा युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच की पूरी टीम तथा दिल्ली, एनसीआर से सैकड़ो साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी मौजूद रहे |


Monday 26 November 2018

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का पंचम अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव सम्पन्न
प्रख्यात व्यंग्यकार एवं पत्रकार(पूर्व संपादक स्वतंत्र भारत /लखनऊ ) अनूप श्रीवास्तव की अध्यक्षता रही
युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच ने अपना पंचम अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव रविवार 25 नवम्बर 2018 को पी.के.रोड ,रेलवे अधिकारी क्लब ,नई दिल्ली-1 में अनूप श्रीवास्तव (वरिष्ठ साहित्यकार ,व्यंग्यकार एवं पत्रकार(पूर्व संपादक स्वतंत्र भारत /लखनऊ ) की अध्यक्षता एवं मुख्य अतिथि गुरमीत बेदी ,वरिष्ठकवि ,कथाकार (उपनिदेशक,जनसंपर्क विभाग ,हिमाचल प्रदेश ) की उपस्थिति में आयोजित हुआ | कार्यक्रम में अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाज सेवी डॉ अशोक मैत्रेय, दिव्या बालजीवन (मॉरिशस),डी.पी.मिश्र (उप निदेशक ,भारत सरकार) डॉ रामकुमार चतुर्वेदी(व्यंग्यकार सिवनी म.प्र ),डा.हरिसिंह पाल,महामंत्री नागरी परिषद् ,दिल्ली एवं वरिष्ठ साहित्यकार दर्शन बेजार के सानिध्य में संपन्न हुआ | सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक चले इस एक दिवसीय कार्यक्रम में देश के कोने –कोने से आये लगभग दो सौ साहित्यकारों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया |
महोत्सव का शुभारम्भ मंचस्थ अतिथियों द्वारा माँ शारदे की मूर्ति के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करने के उपरान्त सरस्वती वंदना सरस्वती पुत्री मंजू वशिष्ठ ने अपने मधुर कंठ से की एवं स्वस्तिवाचन डा.पुष्पा जोशी ने किया | तत्पश्चात मिलन सिंह द्वारा रचित मंच के गान का जगदीश भारद्वाज ने संगीतमय प्रस्तुति दी | अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान मंच के पदाधिकारियों रामकिशोर उपाध्याय ,श्री त्रिभुवन कौल ,श्री सुरेशपाल् वर्मा, संजय गिरि ,श्वेताभ पाठक,अकेला इलाहाबादी और श्री ओमप्रकाश शुक्ल द्वारा पौधा,स्मृति चिन्ह एवं शाल देकर किया गया ,इसके उपरान्त मंच के महासचिव श्री ओम प्रकाश शुक्ल ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और मीडिया प्रभारी संजय कुमार गिरि ने मंच की गत एक वर्ष की साहित्यिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला |
इस अवसर पर ‘ आदिकालीन साहित्य की वर्तमान में प्रासंगिकता’ पर एक परिचर्चा आयोजित की गई जिसमें विषय प्रवर्तन डा.पुष्पा जोशी ,डा,अतिराज सिंह ,त्रिभवन कौल देश ने अपने विचार व्यक्त किये एवं परिचर्चा का समापन रामकिशोर उपाध्याय ने किया | इस सुअवसर पर मँच की स्मारिका ‘उत्कर्ष की ओर (वार्षिकी 2018 ),डा.दमयन्ती शर्मा के कविता संग्रह ‘भीड़ तो अभी ज़िन्दा है, प्रमिला पाण्डेय के उपन्यास ‘छाहों चाहती छाँह’ सुरेशपाल वर्मा जसाला की पुस्तक सरल छंद विधान (प्रथम ) एवं ट्रूप मीडिया के सुरेशपाल वर्मा जसाला पर केन्द्रित नवम्बर अंक का लोकार्पण उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों द्वारा किया गया | मंच की वेब साईट का लोकार्पण भी किया गया|
युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच ने इस वर्ष का शिखर सम्मान भारतेंदु हरिश्चंद सम्मान -2018 एवं पुरस्कार राशि रू.5100/- प्रख्यात साहित्यकार डा. प्रणव भारती (अहमदाबाद ,गुजरात ) को प्रदान किया ! यह सम्मान हर वर्ष साहित्य में अपना विशेष योगदान करने वाले वरिष्ठ साहित्यकार को प्रदान किया जाता है |इस वर्ष (2018) कविता का शिखर सम्मान-महादेवी वर्मा श्रेष्ठ कवयित्री सम्मान-2018 एवं पुरस्कार राशि रू.2100/- -मीरा शलभ (गाज़ियाबाद,उ.प्र.) को दिया गया, व्यंग्य में उत्कृष्ट लेखन के लिए व्यंग्यकार एवं आलोचक डा.रमेश तिवारी (बिहार ) को हरिशंकर परसाई सम्मान -2018 एवं पुरस्कार राशि रू.2100/- , कथा एवं उपन्यास लेखन के लिए डा.पवन विजय (दिल्ली )मुंशी प्रेमचंद सम्मान-2018 एवं पुरस्कार राशि रू.2100/-,अमीर खुसरो सम्मान-2018 एवं पुरस्कार राशि रू.2100/- युवा कवि दीपक गोस्वामी चिराग (बहजोई ,उ.प्र.) को प्रदान किये गए | मंच की संरक्षक की ओर से पांच विशिष्ट व्यक्तियों को मेजर वीरेंद्र सिंह यादव स्मृति सम्मान एवं पुरस्कार राशि रू.2100/- (प्रत्येक )को प्रदान किये गए | ये सम्मान श्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए मंजु वशिष्ठ, संगीत के लिए जगदीश भारद्वाज, पत्रकारिता के लिए ट्रू मीडिया के संपादक ओम प्रकाश प्रजापति,खेल के लिए गुप्ता एवं ललित कला के क्षेत्र में चित्रकार संजय गिरि को प्रदान किये गये | शिल्पा श्रीवास्तव (संपादक अट्टहास ) को पत्रकारिता के लिए साहित्य कमल , शीर्षक गीत प्रतियोगिता में चयनित तीनों रचनाकारों,हिन्दी के उन्नयन में कार्यरत कई संस्थाओं एवं विशिष्ट लेखन एवं कविता पाठ के लिए अनेक साहित्यकारों को इस अवसर पर प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये |
संस्था के संगठन एवं सुचारू सञ्चालन के लिए मंच के महासचिव ओम प्रकाश शुक्ल की अभूतपूर्व सेवाओं के प्रति एक विशेष सम्मान –‘स्वर्ण कमल -2018’ प्रदान किया गया |बाहर से आये सभी कवियों सहित मंचस्थ अतिथियों ने मधुर काव्यपाठ किया | मुख्य अतिथि सहित सभी अतिथियों ने अपने-अपने उद्बोधन में युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के कार्य की भूरि- भूरि प्रशंसा की |
कार्यक्रम के अंत में युवा उत्कर्ष मंच के अध्यक्ष श्री रामकिशोर उपाध्याय जी ने सभी अतिथियों एवं कार्यक्रम को सुचारू एवं व्यवस्थित ढंग से चलाने के मंच संचालक श्वेताभ पाठक,महासचिव ओम प्रकाश शुक्ल ,कोषाध्यक्ष सुरेश पाल वर्मा जसाला ,अकेला इलाहाबादी , संजय गिरि (मीडिया प्रभारी ),जगदीश मीणा (संगठन मंत्री ) ,त्रिभवन कौल (का.अध्यक्ष ),लता यादव (संरक्षक )प्रशांत विजय(संरक्षक ) डा.रामकुमार चतुर्वेदी (उपाध्यक्ष ) सहित मंच के समस्त सहयोगियों का आभार व्यक्त किया !
--संजय कुमार गिरि
















Saturday 24 November 2018

 आनाथ *
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एक बार मुझे कुछ बदमाशों ने बीच सड़क पर चाकू मार घायल कर दिया ,मै अचेत अवस्था में पड़ा रहा ,लोग आते -जाते रहे पर किसी को भी इतना वक्त नहीं की वो मुझे देख सके .मेरी मदत कर मुझे हॉस्पिटल पंहुचा सके !, इतने में ही मैंने देखा कि एक गरीब व्यक्ति जिसकी उम्र लगभग ५५-६० वर्ष के आस -पास रही होगी मुझे उठा के अपने कंधो पे ड़ाल हॉस्पिटल कि और चल पड़ा ! 
.हॉस्पिटल पहुँच कर उसने मुझे आपात -कालीन वार्ड में एडमिट करा दिया और मेरी देखभाल कि खातिर रातभर रुका .मेरी देखभाल करने में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी .सुबह होते ही वह मेरे लिए चाय और बिस्कुट ले आया और मेरी और बढ़ाते हुए बोला लो बेटा नास्ता कर लो .उसके मूंह से अपने को बेटा शब्द सुनते ही मेरी आँखों मै आँसू बह निकले .आज तक मुझ अनाथ को किसी ने भी बेटा कह कर नहीं बुलाया था ,मेरे बहते हुए आंसूओं को देख कर वह व्यक्ति बोला,बेटा रोते कियों हो किया कहीं दर्द ज्यादा हो रहा है .रुको !मै डॉक्टर को बुला के लाता हूँ .मैंने उन्हें रोकते हुए कहा ,नहीं बाबा ये दर्द मेरे ज़ख्मों का नहीं बल्कि ज़माने द्वारा दिए तानो व् गलियों का है .आज तक किसी ने भी मुझे बेटा कह कर नहीं पुकारा , सभी ने मुझे कभी छोटू ,छोकरे .लोंडे या लड़के के नाम से पुकारा था , आप ही वो पहले शक्स हें जिसने मुझे बेटा कहा हें .मेरी बात सुनकर वह बूढ़ा व्यक्ति भी रो पढ़ा और मेरे गले लग कर रोने लगा और बोला बेटा मैं भी तुम्हारी ही तरह आनाथ हूँ मेरा भी इस दुनिया में कोई नहीं है ,
हम दोनों ने अब एक दुसरे को सम्भाला और हॉस्पिटल से छुट्टी ले कर अपने गन्तव्ये कि और चल पड़े ,एक दुसरे कि बांह पकडे ,अब हम आनाथ नहीं थे ,हमारे बीच एक नया रिश्ता बन चुका था पिता और पुत्र का .
*संजय कुमार गिरि

Friday 23 November 2018

आज 24 नवम्बर को रेड हैंडेड में एक ग़ज़ल प्रकाशित हुई हार्दिक आभार महताब खान साहब जी का

आज 24 नवम्बर को अम्बाला से प्रकाशित दैनिक सांध्य दिन प्रति दिन में मेरी एक ग़ज़ल प्रकाशित हुई है हार्दिक आभार परम आदरणीय राज कुमार सहारा जी .का

Wednesday 21 November 2018

अम्बाला से प्रकाशित दैनिक सांध्य दिन प्रति दिन में मेरी एक ग़ज़ल प्रकाशित हुई  हार्दिक आभार आदरणीय राज कुमार सहारा जी Raj Kumar Sahara.का

Friday 9 November 2018

सुश्री नीलम पांडेय जी को उनका बनाया पेंसिल स्केच भेंट करते हुए चित्रकार संजय कुमार गिरि-

रेड हैंडेड में प्रकाशित -

विकट परथति में डॉक्टरों पर जानलेवा हमले क्यों   लेखक संजय कुमार गिरि देश में इस विकट समस्या से आज हर नागरिक जूझ रहा है और न चाहते हुए भ...